शनिश्चरी अमावस्या: 11 अगस्त को है साल की आखिरी शनि अमावस्या
डिजिटल डेस्क, भोपाल। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये तिथि 11 अगस्त को पड़ रही है। शनिवार को पड़ने की वजह से इसे शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। विशेषकर उन लोगों के लिए जिनके कुंडली में शनि की महादशा, अंर्तदशा चल रही हो या फिर साढ़े साती या ढैय्या चल रही है। यदि आपको शनि कोई कष्ट दे रहे हैं तो आप इस दिन उनकी पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा पा सकते हैं।

1/6दान से होगा अक्षय फल प्राप्त
इस दिन किए गए दान से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। शनि को सीमा ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि जहां से सूर्य का प्रभाव समाप्त होता है वहीं से शनि का प्रभाव आरम्भ हो जाता है। इस दिन किसी तीर्थ स्थल पर स्नान आदि करना भी उत्तम माना जाता है। जिन जातकों की कुण्डली में पितृ दोष, कालसर्प दोष और शनि का प्रकोप हो, जिनके घर में हर समय कलह कलेश हो, घर का कोई सदस्य असाध्य रोग से पीडि़त हो, जिनके बच्चों के विवाह आदि में बिना वजह देरी हो रही हो अथवा विवाह आदि में कोई विघ्न पड़ रहा हो, जो शनि प्रकोप एवं संतान से पीड़ित हो, जिनके व्यापार में घाटा पड़ रहा हो, उन्हें शनि अमावस पर शनि को प्रसन्न करके उनकी कृपा पाने के लिए शनि पूजन अवश्य करना चाहिए।

2/6
इस दिन शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किये जाते हैं। जिनके बारे में हम आपको बताएंगे।
- शनि अमावस्या के दिन उड़द दाल की खिचड़ी, तिल से बने पकवान का गरीबों को दान करें।

3/6
- काले रंग का श्वान (कुत्ता) इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें।

4/6
- इस दिन शनि चालीसा का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।

5/6
- इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

6/6
- शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।
कोई टिप्पणी नहीं: