दूध पिलाने से जा सकती है सांप की जान, कब है नाग पंचमी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी 15 अगस्त 2018 को है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने से उनकी मृत्यु हो जाती है। धर्म शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है।
नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें वहां के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें वहां के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।

1/2
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥
भावार्थ:- वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय - ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं।
नागपंचमी के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआं नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है। मान्यता है कि इस स्थान पर तक्षक गरुड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आए परन्तु गरुड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी और उन्होंने तक्षक पर आक्रमण कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरुड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान दे दिया, तभी से यहां नाग पंचमी के दिन से नाग पूजा की जाती है, मान्यता यह भी है, कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहां पूजा अर्चना कर नाग कुआं का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली से काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥
भावार्थ:- वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय - ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं।
नागपंचमी के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआं नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है। मान्यता है कि इस स्थान पर तक्षक गरुड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आए परन्तु गरुड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी और उन्होंने तक्षक पर आक्रमण कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरुड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान दे दिया, तभी से यहां नाग पंचमी के दिन से नाग पूजा की जाती है, मान्यता यह भी है, कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहां पूजा अर्चना कर नाग कुआं का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली से काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है।
Advertisement

2/2पूजा विधि
- इस दिन प्रातःकाल उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं।
- इसके बाद स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजन के लिए ताजा भोजन बनाएं। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासा खाना खाया जाता है।
- इसके बाद दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाएं।
- फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती (घर जैसी आकृति जिसमें अनेक नागदेव हों) दीवार पर बनाएं।
- कई स्थानों पर तो सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य द्वार के दोनों और पांच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजा करें।
- सर्वप्रथम नागों की बांमि में एक कटोरी दूध चढ़ा कर आते हैं।
- फिर दीवाल पर बनाए गए नागदेवता की दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनको भोग लगाते हैं।
- इसके बाद आरती कर कथा सुनते हैं।
नाग मन्त्र का करें जाप
'कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा' इस मंत्कार का जाप करने से सर्पविष भय दूर होता है।
वैसे तो पूरे श्रावण माह में भूमि खोदना निषेध होता है लेकिन विशेष कर नागपंचमी के दिन भूमि खोदना अपशगुन मना जाता है। इस दिन उपवास कर नागों को खीर खिलाई व दूध पिलाई जाती है। कहीं-कहीं तो सावन माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी को मौना पंचमी शेषनाग की पूजा कर नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।
इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
बांमी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेवता को सुगंध अधिक प्रिय है।
'कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा' इस मंत्कार का जाप करने से सर्पविष भय दूर होता है।
वैसे तो पूरे श्रावण माह में भूमि खोदना निषेध होता है लेकिन विशेष कर नागपंचमी के दिन भूमि खोदना अपशगुन मना जाता है। इस दिन उपवास कर नागों को खीर खिलाई व दूध पिलाई जाती है। कहीं-कहीं तो सावन माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी को मौना पंचमी शेषनाग की पूजा कर नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।
इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
बांमी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेवता को सुगंध अधिक प्रिय है।
Hello brother, very good post about Happy Nag Panchami.
जवाब देंहटाएं