सावन में सुहागिनों का बड़ा त्यौहार हरियाली तीज

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हरियाली तीज सावन के महीने में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। इसे श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज भी कहते हैं। 13 अगस्त 2018 को श्रावण माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि है, इसी दिन ये त्यौहार मनाया जाएगा। हरियाली तीज व्रत हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है। श्रावण मास में आने के कारण इस पर्व का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। राजस्थान में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। इस तीज पर्व पर माता पार्वती की अवतार तीज माता की उपासना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ही श्रावण महीने की तृतीया तिथि को देवी के रूप में (तीज माता के नाम से) अवतरित हुई थीं।
श्रावण मास भगवान शिव को अधिक प्रिय होता है और देवी पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं। इसलिए श्रावण के महीने में भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती के अवतार तीज माता की उपासना की जाती है। तीज पर्व के एक दिन पहले ही विवाहित महिलाएं तथा कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी लगाकर इसको मनाती हैं। सुहागन महिलाएं अपना सौभाग्य बनाए रखने के लिए भगवान शिव-पार्वती का व्रत रखती हैं। वही कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।
श्रावण मास भगवान शिव को अधिक प्रिय होता है और देवी पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं। इसलिए श्रावण के महीने में भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती के अवतार तीज माता की उपासना की जाती है। तीज पर्व के एक दिन पहले ही विवाहित महिलाएं तथा कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी लगाकर इसको मनाती हैं। सुहागन महिलाएं अपना सौभाग्य बनाए रखने के लिए भगवान शिव-पार्वती का व्रत रखती हैं। वही कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।

1/4शिव पार्वती का हुआ था मिलन
शिव और पार्वती के पुनर्मिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले हरियाली तीज के पर्व की मान्यता है कि माता पार्वती ने 107 बार जन्म लिए थे तब कहीं जा कर भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया। पार्वती जी के कठोर तप और उनके 108 वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी अर्धांग्नी के रूप में स्वीकार किया। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती प्रसन्न होकर स्त्रियों के पति को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।
इस पर्व पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहिता को ससुराल में नहीं छोड़ा जाता है। अत: उन्हें ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। तब ससुराल से इस पर्व पर सिंजारा भेजा जाता है जिसमें नए वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार सामग्री तथा मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है। यह पर्व हरियाली तीज से 1 दिन पहले सिंजारा के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत को निर्जला किए जाने का विधान है।
इस पर्व पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहिता को ससुराल में नहीं छोड़ा जाता है। अत: उन्हें ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। तब ससुराल से इस पर्व पर सिंजारा भेजा जाता है जिसमें नए वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार सामग्री तथा मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है। यह पर्व हरियाली तीज से 1 दिन पहले सिंजारा के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत को निर्जला किए जाने का विधान है।

2/4हरियाली तीज की पूजन विधि
यह त्योहार वैसे तो 3 दिन मनाया जाता है लेकिन समय के आभाव के कारण लोग इसे 1 ही दिन मना पाते हैं। इसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में अल्ता (महोर) लगाती हैं। जो सुहाग का प्रतीक माना जाता है और नए वस्त्र धारणकर माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होता, इसे कई स्थानों पर पुरुष माता की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी भी निकालते हैं।

3/4क्या करें इस दिन ?
सबसे पहले महिलाएं किसी बाग या मंदिर में एकत्रित होकर माता की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहनों से सुसज्जित करें।
अर्द्ध गोले का आकार बनाकर माता की प्रतिमा को बीच में रखें और माता का पूजन करें।
सभी महिलाओं में से एक महिला कथा सुनाए, अन्य सभी महिलाएं कथा को ध्यान से सुनें व मन में पति का ध्यान करें और पति की लंबी आयु की कामना करें।
इस दिन सुहागन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहाग सामग्री देती हैं। सास न हो तो जेठानी या घर की बुजुर्ग महिला को देती हैं।

4/4
कई स्थानों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात लाल मिट्टी से स्नान करती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती हैं। कई स्थानों पर तो तीज के दिन मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। दिन के अंत में वे खुशी से नाचते गाते और झूला झूलते हैं। माता पार्वती से अपने सुहाग की दीर्घायु का अनुदान प्राप्त करने के लिए सच्चे मन से शिव-पार्वती की आराधना कर इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
आपने बहुत ही सुंदर ब्लॉग बनाया है, सही मायनों में मन को भा गया। आपके द्वारा लिखा हुआ ये लेख जोकि हरियाली तीज व्रत कथा और पूजन विधि se संबंधित है बहुत ही उपयोगी है। इसके लिए धन्यवाद।
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