हिंदी दिवस 2018 : जानिए, देश की एकता का मंत्र कैसे बनी हिन्दी

NEWS HIGHLIGHTS
- हर साल १४ (1949) सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
- हिन्दी दिवस 14 सितम्बर से पूरे एक सप्ताह मनाया जाता है।
- आज 21वीं सदी में हिंदी ने एक नई ऊंचाई को छुआ और नए-नए आयाम गढ़े।
हिंदी में ही देश को एक सूत्र में बांधे रखने की क्षमता है। हिंदी देश की एकता का मंत्र है। आज शुक्रवार यानी 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है। हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर से पूरे एक सप्ताह तक मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग-अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन शैक्षणिक संस्थानों और कार्यालयों दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। देश की आजादी के समय में भी हिन्दी का विशेष महत्व रहा। आज 21वीं सदी में हिंदी ने एक नई ऊंचाई को छुआ और नए-नए आयाम गढ़े। तो फिर आइए जानें हिंदी के बारे में कुछ और बातें...

राजभाषा/हिन्दी दिवस
भारत के संविधान का एक्ट 343 हिंदी को राजभाषा घोषित करता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने और हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध किया था। जिसके बाद से ही हर साल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। साल 1918 में महात्मा गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।

1950 में मिला आधिकारिक भाषा का दर्जा
साल 1950 में हिंदी को संघीय भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला था। जिसके बाद हिन्दी भाषा का उपयोग भारत के सभी सरकारी काम-काजों में अधिकारिक भाषा के रूप में किया जाने लगा। इसके बाद 1954 में भारत सरकार ने हिंदी व्याकरण तैयार करने का फैसला लिया था। इसके लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन भी किया था।

हिन्दी दिवस पूरे देश भर में मनाया जाता है, जो भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिन्दी भाषा के महत्व को दर्शाता है। दरअसल भारत में हिन्दी एकता का प्रतीक है। हिन्दी दिवस हर साल हमें हमारी असली पहचान को याद दिलाता है और देश के सभी लोगों को एक जुट करता है। हम जहाँ भी जाते हैं हमारी भाषा, संस्कृति और मूल्य हमारे साथ रहने चाहिए और यह अनुश्मार्क के रूप में काम करता है। लेकिन हिंदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो यही है कि बड़ा युवा वर्ग अंग्रेजी की तरफ जा रहा है, क्योंकि अंग्रेजी में रोजगार के अवसर हैं तो वही इस समय की भाषा बन गई है।

दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में एक हिंदी भी है। हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन क्या नहीं जुटाया जा सकता? बोलने वालों की संख्या के मुताबिक अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद पूरे दुनिया में चौथी सबसे बड़ी भाषा है। दुनियाभर में अगर हिंदी बोलने वालों की संख्या पर गौर करें, तो कुल 75 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं, लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। यह और भी कम होती जा रही। इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है और कई शब्द प्रचलन से हट गए हैं।

दुनियाभर में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हर साल विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। इस साल 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से 18-20 अगस्त 2018 तक मॉरीशस में आयोजित किया गया। जिसमें हिंदी के करीब 350 विद्वान शिरकत की। पहली बार विश्व हिन्दी सम्मेलन में केवल हिन्दी भाषा नहीं, बल्कि हिन्दी भाषा और उससे जुड़ी संस्कृति पर बात हुई। इस 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन की थीम – 'विश्व हिन्दी और भारतीय संस्कृति' रखी गई थी। साथ ही इस बार के विश्व हिन्दी सम्मेलन में 8 उप-विषय भी रखे गए थे। ये तीसरा मौका है जब मॉरीशस में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन हुआ। अब तक दस हिंदी सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं।
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